07-06-2021
1] Ref of औपधेनवमौरभ्रं सौश्रुतं पौष्कलावतम् |
शेषाणां शल्यतन्त्राणां मूलान्येतानि निर्दिशेत् ||
1. Su.Su.1/9
2. Su.Su.2/9
3. Su.Su.3/9
4. Su.Su.4/9
[Su.Su.4/9]
2] Ref of त्रिविधं कर्म- पूर्वकर्म, प्रधानकर्म, पश्चात्कर्मेति; तद्व्याधिं प्रत्युपदेक्ष्यामः ||
1. Su.Su.4/3
2. Su.Su.5/3
3. Su.Su.6/3
4. Su.Su.7/3
[Su.Su.5/3]
3] Ref of तच्च शस्त्रकर्माऽष्टविधं; तद्यथा- छेद्यं, भेद्यं, लेख्यं, वेध्यम्, एष्यम्, आहार्यं, विस्राव्यं, सीव्यमिति ||
1. Su.Su.4/5
2. Su.Su.5/5
3. Su.Su.6/5
4. Su.Su.7/5
[Su.Su.5/5]
4] Ref of तत्रायतो विशालः समः सुविभक्तो निराश्रय इति व्रणगुणाः ||
1. Su.Su.4/8
2. Su.Su.5/8
3. Su.Su.6/8
4. Su.Su.7/8
[Su.Su.5/8]
5] Ref of आयतश्च विशालश्च सुविभक्तो निराश्रयः|
प्राप्तकालकृतश्चापि व्रणः कर्मणि शस्यते ||
1. Su.Su.4/9
2. Su.Su.5/9
3. Su.Su.6/9
4. Su.Su.7/9
[Su.Su.5/9]
6] Ref of शौर्यमाशुक्रिया शस्त्रतैक्ष्ण्यमस्वेदवेपथु |
असम्मोहश्च वैद्यस्य शस्त्रकर्मणि शस्यते ||
1. Su.Su.4/10
2. Su.Su.5/10
3. Su.Su.6/10
4. Su.Su.7/10
[Su.Su.5/10]
7] Ref of चन्द्रमण्डलवच्छेदान् पाणिपादेषु कारयेत् |
1. Su.Su.4/14
2. Su.Su.5/14
3. Su.Su.6/14
4. Su.Su.7/14
[Su.Su.5/14]
8] Ref of तत्र भ्रूगण्डशङ्खललाटाक्षिपुटौष्ठदन्तवेष्टकक्षाकुक्षिवङ्क्षणेषु तिर्यक् छेद उक्तः ||
1. Su.Su.4/13
2. Su.Su.5/13
3. Su.Su.6/13
4. Su.Su.7/13
[Su.Su.5/13]
9] Ref of अर्धचन्द्राकृतींश्चापि गुदे मेढ्रे च बुद्धिमान् ||
1. Su.Su.4/14
2. Su.Su.5/14
3. Su.Su.6/14
4. Su.Su.7/14
[Su.Su.5/14]
10] Ref of मूढगर्भोदरार्शोऽश्मरीभगन्दरमुखरोगेष्वभुक्तवतः कर्म कुर्वीत ||
1. Su.Su.4/16
2. Su.Su.5/16
3. Su.Su.6/16
4. Su.Su.7/16
[Su.Su.5/16]
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